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अध्याय 11 ,श्लोक 6



श्लोक

पश्यादित्यान्वसूनुद्रानश्विनौ मरुतस्तथा । बहून्यदृष्टपूर्वाणि पश्याश्चर्याणि भारत ॥6॥

पश्य आदित्यान् वसून रुद्रान अश्विनौ मरुतः तथा ।
बहूनि अदृष्ट पूर्वाणि पश्य आश्यर्याणि भारत ।। ६ ।।

शब्दार्थ

(भारत) हे भारत (अर्जुन)! (पश्य) देखो, (आदित्यान) सूर्य को नियंत्रण करने वाले देवता आदित्य को ( वसून्) जल को नियंत्रण करने वाले देवता वसून (अश्विनौ) घोडों के देवता अश्विन को ( मरुतः) वायु को नियंत्रण करने वाले देवता मारुत को ( रुद्रान) रुद्र (तथा ) (पश्य) देखो (बहुनि) बहुत सारे (आश्चर्याणि) आश्चर्यजनक चीज़ें (पूर्वाणि ) (जिन्हें पहले कभी नहीं ) देखा गया।

अनुवाद

हे भारत (अर्जुन)! देखो, सूर्य को नियंत्रण करने वाले देवता आदित्य को। जल को नियंत्रण करने वाले देवता वसून। घोडों के देवता अश्विन को । वायु को नियंत्रण करने वाले देवता मारुत को । रुद्र (तथा), देखो बहुत सारे आश्चर्यजनक चीजें, (जिन्हें पहले कभी नहीं देखा गया।