Home Chapters About



अध्याय 13 ,श्लोक 15



श्लोक

सर्वेन्द्रियगुणाभासं सर्वेन्द्रियविवर्जितम्। असक्तं सर्वभृच्चैव निर्गुणं गुणभोक्तृ च ॥15॥

सर्व इन्द्रिय गुण आभासम् सर्व इन्द्रिय विवर्जितम् ।
असक्तम् सर्वभृत् च एव निर्गुणम् गुण-भोक्तृ च
॥१५॥

शब्दार्थ

(सर्व) (वह ईश्वर) सभी (इन्द्रिय) इन्द्रियों (Sensory organ) (और) (गुण) गुणों (को) (आभासम्) प्रकाशित करने वाला है (उनमें जान डालने वाला है) (सर्व) (किन्तु वह) सभी (इन्द्रिय) इन्द्रियों (विवर्जितम्) के बिना है (च) और (सर्वभृत्) वह सबको पालता है (असक्तम् ) किन्तु वह किसी पर निर्भर नहीं (किसी की सहायता से जुड़ा नहीं है) (एवं) नि:संदेह (वह ईश्वर) (गुण-भोक्तृ) (मनुष्यों में) गुणों का रचयिता है (च) किन्तु (निर्गुणम्) वह निर्गुण है ।

अनुवाद

(वह ईश्वर) सभी इन्द्रियों (Sensory organ) (और) गुणों (को) प्रकाशित करने वाला है, (उनमें जान डालने वाला है)। (किन्तु वह) सभी इन्द्रियों के बिना है और वह सबको पालता है, किन्तु वह किसी पर निर्भर नहीं (किसी की सहायता से जुड़ा नहीं है)। नि:संदेह (वह ईश्वर) (मनुष्यों में) गुणों का रचयिता है, किन्तु वह (स्वयम) निर्गुण है।

नोट

पवित्र कुरआन में ईश्वर कहता है, “और तुम जिस हाल में होते हो, या कुरआन में कुछ में पढ़ते हो, या तुम लोग कोई और काम करते हो, जब तुम उसमें व्यस्त होते हो हम तुम्हारे सामने होते हैं। और कोई रत्ती भर चीज़ (बहुत छोटी चीज) आकाश में और धरती पर ऐसी नहीं है, न छोटी न बड़ी जो तेरे ईश्वर की दृष्टी से छिपी हो, और जो एक स्पष्ट पुस्तक में अंकित न हो।” (सूरह युनूस १०, आयत ६१) (अनुवाद फतह मोहम्मद साहब)