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अध्याय 14 ,श्लोक 1



श्लोक

श्रीभगवानुवाच
परं भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानं मानमुत्तमम् ।
यज्ज्ञात्वा मुनयः सर्वे परां सिद्धिमितो गताः ।।1।।

(भगवान उवाच्) परम् भूयः प्रवक्ष्यामि ज्ञानानाम् ज्ञानम् उत्तमम् ।
यत् ज्ञात्वा मुनयः सर्वे पराम् सिद्धिम् इतः गताः
।। १ ।।

शब्दार्थ

(श्री भगवान उवाच) ईश्वर ने (कृष्ण जी के माध्यम से) कहा, (भुय:) (अब मैं तुम्हें) दोबारा (ज्ञानानाम्) सब मैं ज्ञानों में (उत्तमम्) सबसे महान और (परम) दिव्य (ज्ञानम्) ज्ञान को (प्रवक्ष्यामि) कहूँगा (यत) जिसे (ज्ञात्वा) जानकर (सर्वे) सभी (मुनयः) मुनियों ने (इत:) इस ( संसार में ) (पराम्) ईश्वर की प्रार्थना में (सिद्धिम्) (Perfection) पूर्णता सिद्धि (गता) प्राप्त की।

अनुवाद

ईश्वर ने (कृष्ण जी के माध्यम से) कहा, (अब मैं तुम्हें) दोबारा सब ज्ञानों में सबसे महान और दिव्य ज्ञान को कहूँगा जिसे जानकर सभी मुनियों ने इस ( संसार में) ईश्वर की प्रार्थना में (Perfection) पूर्णता सिद्धि प्राप्त की।