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अध्याय 14 ,श्लोक 23



श्लोक

उदासीनवदासीनो गुणैर्यो न विचाल्यते ।
गुणा वर्तन्त इत्येव योऽवतिष्ठति नेगते ॥23॥

उदासीनवत् आसीनः गुणैः यः न विचाल्यते ।
गुणाः वर्तन्ते इति एवम् यः अवतिष्ठति न इते ।।२३।।

शब्दार्थ

(य) (वह) जो (उदासीनवत्) निष्पक्ष (Impartial) (आसीन) रहता है (गुणै) (इन तिनों) गुणो से (विचाल्यते) परेशान (न) नहीं होता (गुणा) (इन) गुणों (के) (वर्तन्ते) उकसाने (Provocation) से (इति) इसी तरह (एवम्) वह नि:संदेह (अवतिष्ठति) दृढता से स्थित रहता है (और) (इड्ते) डगमगाता (न) नहीं।

अनुवाद

(वह) जो निष्पक्ष (Impartial) रहता है ( इन तीनों) गुणो से परेशान नहीं होता (इन) गुणों (के) उकसाने (Provocation) से। इसी तरह वह नि:संदेह दृढता से स्थित रहता है (और) डगमगाता नहीं।