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अध्याय 15 ,श्लोक 1



श्लोक

श्रीभगवानुवाच
ऊर्ध्वमूलमधः शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम् ।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ॥ 1 ॥

उर्ध्व-मूलम् अधः शाखम् अश्वत्थम् प्रा आहुः
अव्ययम् ।
छन्दांसि यस्य पर्णानि यः तम् वेद सः वेदवित्।। १।।

शब्दार्थ

( श्री भगवान उवाच) ईश्वर ने (श्रीकृष्ण के माध्यम से) कहा (अश्वत्थम्) (एक) बरगद का पेड़ है (अव्ययम्) जिसे अमर (लम्बी आयुवाला) (प्राहु) कहा जाता है (मूलम्) (जिसकी) ज़ड़े (उर्ध्व ) ऊपर की तरफ (शाखम्) शाखें (अध:) नीचे की तरफ (यस्य) उसकी (पर्णानि) पत्तियां (छन्दांसि) वेदों के छंद है (य:) (वह) जो (तम्) इसको (वेद) जानता है (स:) वह (वेदवित्) वेदों के सत्य और तत्त्व को जानता है।

अनुवाद

ईश्वर ने (श्रीकृष्ण के माध्यम से) कहा, (एक) बरगद का पेड़ है जिसे अमर (लम्बी आयुवाला) कहा जाता है। (जिसकी) ज़ड़े ऊपर की तरफ, शाखें नीचे की तरफ, उसकी पत्तियां वेदों के छंद है। (वह) जो इसको जानता है वह वेदों के सत्य और तत्त्व को जानता है।