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अध्याय 15 ,श्लोक 20



श्लोक

इति गुह्यतमं शास्त्रमिदमुक्तं मयानघ।
एतद्बुद्ध्वा बुद्धिमान्स्यात्कृतकृत्यश्च भारत।।20।।

इति गुह्य-तमम् शास्त्रम् इदम् उक्तम् मया अनघ ।
एतत् बुद्धवा बुद्धिमान् स्यात् कृत-कृत्यः च भारत ।।२०।॥

शब्दार्थ

(भारत) हे भारत (अर्जुन) (इति) इस तरह (इदम्) यह (गुह्य-तमम्) सबसे गुप्त (शास्त्रम्) धार्मिक ज्ञान (मया) मेरे द्वारा (तुम्हें) (उक्तम्) कही गई (अनघ) हे बेगुनाह (अर्जुन) (एतत) इन (धार्मिक ज्ञान को) (बुद्धवा) समझकर (बुद्धिमान स्यात्) (मनुष्य) बुद्धिमान हो जाता है। (च) और (फिर) (कृत-कृत्य:) वह कर्म करता है जो करना उसके लिए उचित होता है।

अनुवाद

हे भारत (अर्जुन)! इस तरह यह सबसे गुप्त धार्मिक ज्ञान मेरे द्वारा (तुम्हें) कहा गया है। हे बेगुनाह (अर्जुन)! इन (धार्मिक ज्ञान को) समझकर मनुष्य बुद्धिमान हो जाता है। और (फिर) वह कर्म करता है जो करना उसके लिए उचित होता है।