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अध्याय 17 ,श्लोक 10



श्लोक

यातयामं गतरसं पूति पर्युषितं च यत् ।
उच्छिष्टमपि चामेध्यं भोजनं तामसप्रियम् ॥10॥

यात यामम् गत-रसम् पूति पर्युषितम् च यत ।
उच्छिष्टम् अपि च अमेध्यम् भोजनम् तामस् प्रियम् ।। १० ।।

शब्दार्थ

(तामस्) तमो गुण (वालो का) (प्रियम) प्रिय (भोजनम् ) भोजन (यात यामम्) सड़ा हुआ (गत-रसम्) रसरहित (पूति) दुर्गन्धित (पर्युषितम्) बासी (च) और (यत्) जो (उच्छिष्टम्) जूठा है (च) तथा (अमेध्यम्) अपवित्र (अपि) भी होता है।

अनुवाद

तमो गुण वालों का प्रिय भोजन सड़ा हुआ, रसरहित, दुर्गन्धित, बासी और जूठा होता है। तथा अपवित्र भी होता है।