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अध्याय 17 ,श्लोक 9



श्लोक

कट्वम्ललवणात्युष्णतीक्ष्णरूक्षविदाहिनः ।
आहारा राजसस्येष्टा दुःखशोकामयप्रदाः ॥9॥

कटु अम्ल लवण अति-उष्ण तीक्ष्ण रुक्ष विदाहिनः । आहारा: राजसस्य इष्टाः दुःख शोक आमय प्रदाः ।। ९ ।।

शब्दार्थ

(राजसस्य) रजो गुण (वालो का) (इष्टा:) प्रिय (आहारा:) भोजन (कटु) अति कड़वा (अम्ल) अति खट्टा (लवण) अति नमकीन (उष्ण) अति गरम (तीक्ष्ण) अति तीखा (रुक्ष) अति रुखा (विदाहिन:) और जलन करने वाला (दाहकारक) होता है। (दुःख) (जो) दुःख (शोक) शोक (आमय) रोगों को (प्रदाः) उत्पन्न करता है।

अनुवाद

रजो गुण वालों का प्रिय भोजन अति कड़वा, अति खट्टा, अति नमकीन, अति गरम, अति तीखा, अति रुखा, और जलन करने वाला होता है। जो शोक और रोगों को उत्पन्न दुःख, करता है।