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अध्याय 18 ,श्लोक 22



श्लोक

यत्तु कृत्स्नवदेकस्मिन्कार्ये सक्तमहैतुकम् । अतत्त्वार्थवदल्पंच तत्तामसमुदाहृतम्॥22॥

यत् तु कृत्स्नवत् एकस्मिन् कार्ये सक्तम् अहैतुकम् अतत्व -अर्थ-वत् अल्पम् च तत् तामसम् उदाहृतम् ।।२२।।

शब्दार्थ

(तु) किन्तु (उदाहृतम्) (ईश्वर) कह रहा है कि (यत) जिस ज्ञान द्वारा (मनुष्य) (एकस्मिन्) किसी एक काम में ( कृत्स्नवत् ) पूरी तरह से (सक्तम्) लग जाए (अहैतुकम्) (और वह किसी) उद्देश के बिना हो (अतत्व- अर्थ-वत्) और वह वास्तविकता के आधार पर न हो (च) और (अल्पम्) वह मामूली या बहुत छोटा सा काम हो । (तत) (तो) वह (ज्ञान) (तामसम्) तमो गुण से प्रेरित (उदाहृतम्) कहा जाएगा।

अनुवाद

किन्तु ईश्वर कह रहा है कि, जिस ज्ञान द्वारा मनुष्य किसी एक काम में पूरी तरह से लग जाए, और वह किसी उद्देश के बिना हो, और वह वास्तविकता के आधार पर न हो, और वह मामूली या बहुत छोटा सा काम हो । (तो) वह (ज्ञान) तमो गुण से प्रेरित कहा जाएगा।