Home Chapters About



अध्याय 18 ,श्लोक 7



श्लोक

नियतस्य तु सन्न्यासः कर्मणो नोपपद्यते । मोहात्तस्य परित्यागस्तामसः परिकीर्तितः ॥ 7 ॥

नियतस्य तु संन्यासः कर्मणः न उपपद्यते । मोहात् तस्य परित्यागः तामसः परिकीर्तितः ।। ७ ।।

शब्दार्थ

(कर्मण:) सत्कर्म (यज्ञ, दान, तप और संगम को छोड़ना) (नियतस्य) (जिसे ईश्वर ने ) अनिवार्य किया है। (संन्यास:) (वह) छोड़ देने के (न उपपद्यते) योग्य नहीं है। (मोहात्) अगर कोई भ्रम (गलतफहमी) के कारण (तस्य) इन्हें (परित्यागः) छोड़ देता है (तो वह) (तु) नि:संदेह (तामस:) अज्ञानी (तमो गुण वाला) (परिकीर्तितः) कहा जाएगा।

अनुवाद

सत्कर्म ( यज्ञ, दान, तप और संगम को छोड़ना) जिसे ईश्वर ने अनिवार्य किया है। (वह) छोड़ देने के योग्य नहीं है। यदि कोई भ्रम के कारण इन्हें छोड़ देता है, तो वह नि:संदेह अज्ञानी तमो वाला कहा जाएगा। गुण