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अध्याय 2 ,श्लोक 1



श्लोक

संजय उवाच तं तथा कृपयाविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम् । विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः ॥1॥

संजय उवाच
तम् तथा कृपया आविष्टम् अश्रुपूर्णाकुल ईक्षणम् । विषीदन्तम् इदम् वाक्यम् उवाच मधुसूदनः
||१ ||

शब्दार्थ

(संजय उवाच) संजय ने कहा, (तम) जब ( श्री कृष्ण ने) (कृपया) कृपा (दया) से (आविष्टम् ) भरे हुए (विषीदन्तम् ) दुःखी (अर्जुन को ) (ईक्षणम्) (और उसकी) आँखो को (पूर्ण) पूरी तरह (अश्रु ) आँसुओ से (आकुल) भरी हुई (देखा) (तब) तब (मधुसूदन) श्री कृष्ण (ने) (इदम्) (अर्जुन से) यह (वाक्य) शब्द ( उवाच ) कहे।

अनुवाद

संजय ने कहा, जब ( श्री कृष्ण ने) दया (कृपा) से भरे हुए, दुःखी (अर्जुन को) (और उसकी) आँखो को पूरी तरह आँसुओ से भरी हुई। (देखा), तब श्री कृष्ण (ने) (अर्जुन से) यह शब्द कहे।