Home Chapters About



अध्याय 2 ,श्लोक 17



श्लोक

अविनाशि तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम् । विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्तुमर्हति ॥17॥

अविनाशि तु तत् विद्धि येन सर्वम् इदम् ततम | विनाशम् अव्ययस्य अस्य न कश्चित् कर्तुम् अर्हति ।।१७।।

शब्दार्थ

(तु) (हे अर्जुन) नि:संदेह (विद्धि) तुम्हे जानना चाहिए कि (तत्) वह ईश्वर (अविनाशी) अविनाशी है। (येन) जिसके कारण (सर्वम)

अनुवाद

(हे अर्जुन) नि:संदेह, तुम्हें जानना चाहिए कि

नोट

ईश्वर ने कहा, और ईश्वर के साथ किसी दूसरे उपास्य को न पुकारो। उसके सिवा दुसरा कोई उपास्य नहीं। हर चीज़ नष्ट होने वाली है, सिवाय उसके अस्तित्व के निर्णय का अधिकार उसी को प्राप्त है, और तुम उसी की ओर लौटाए जाओगे। (पवित्र कुरआन सूरे अल कसस नं. २८, आयत नं.८८)