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अध्याय 2 ,श्लोक 68



श्लोक

तस्माद्यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः । इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ॥68||

तस्मात् यस्य महाबाहो निगृहीतानि सर्वशः । इन्द्रियाणि इन्द्रिय अथेभ्यः तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता ।।६८।।

शब्दार्थ

(तस्मात्) इसलिए (महाबाहो) हे अर्जुन (याथ) जिसने (सर्वशः) सारी (इन्द्रियाणि) इच्छाओं को (इन्द्रिय-अर्थेभ्यः) इच्छा वाली वस्तुओं से (निगृहीताणि) रोक लिया और वश में कर लिया। (तस्य) उसकी (प्रज्ञा) बुद्धि (प्रतिष्ठिता) ईश्वर की श्रद्धा में स्थिर हो जाती है।

अनुवाद

इसलिए हे अर्जुन जिसने सारी इच्छाओं को, इच्छा वाली वस्तुओं से रोक लिया और वश में कर लिया। उसकी बुद्धि ईश्वर की श्रद्धा में स्थिर हो जाती है।