Home Chapters About



अध्याय 2 ,श्लोक 69



श्लोक

या निशा सर्वभूतानां तस्यां जागर्ति संयमी। यस्यां जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतो मुनेः ॥69॥

यानिशा सर्व भूतानाम् तस्याम् जागर्ति संयमी । पस्याम् जाग्रति भूतानि सा निशा पश्यतः मुनेः ।।६९।।

शब्दार्थ

(या) जो (सर्व) सम्पूर्ण (भूतानाम्) प्राणियों के लिए (निशा) रात का समय है (तस्याम् ) वह समय (संयमी) इच्छाओं को वश में रखने वालों के लिए (जागर्ति) जागने का समय है। (ईश्वर की प्रार्थना के लिए।) (यस्याम् ) और जिस (समय) (भुतानि) सम्पूर्ण प्राणी (जाग्रति ) जागते हैं। (सा) वह (समय) (मुने) महापुरुषों की (पश्यतः) दृष्टि में (निशा) रात है।

अनुवाद

जो सम्पूर्ण प्राणियों के लिए रात का समय है। वह समय इच्छाओं को वश में रखने वालों के लिए जागने का समय है (ईश्वर की प्रार्थना के लिए।) और जिस (समय) सम्पूर्ण प्राणी जागते है। वह (समय) महापुरुषों की दृष्टि में रात है।

नोट

ईश्वर ने पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.) को पवित्र कुरआन में यह आदेश दिए थे। “( हे मुहम्मद) रात को तहज्जुद (नमाज) पढ़ो, यह नफ्ल (अतिरिक्त नमाज़) है, तुम्हारे लिए। उम्मीद है कि तुम्हारा रब तुम्हें मकामे महमूद (प्रशंसित-स्थल) पर खड़ा करे। (महान पदवी देगा)” (पवित्र कुरआन-सूरे बनी इसराईल १७, आयत ७९) सनातन धर्म में सूर्योदय से १ घंटा ३६ मिनट पहले के समय को ब्रह्म मुहुर्त कहते है। यह ईश्वर की प्रार्थना का १ सबसे उचित और शुभ समय है। इस समय को योगी जागते है और ईश्वर की प्रार्थना करते है।