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अध्याय 3 ,श्लोक 23



श्लोक

यदि ह्यहं न वर्तेयं जातु कर्मण्यतन्द्रितः । मम वर्त्मानुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः ॥23॥

यदि हि अहम् न वर्तेयम् जातु कर्मणि अतन्द्रितः । मम वर्त्म अनुवर्तन्ते मनुष्याः पार्थ सर्वशः
।।२३।।

शब्दार्थ

(पार्थ) हे अर्जुन! (यदि) अगर (अहम) मैं (कर्मणि) बह्मांड के प्रबंध (सुरक्षा का काम ) (अतन्द्रितः) सावधान होकर (न) न (वर्तेयम्) करूँ (हि) (तो) नि:संदेह (सर्वशः) सब ( मनुष्याः) मनुष्य ( मम) मेरे (वर्त्म) मार्ग पर (अनुवर्तन्ते) चल पड़े।

अनुवाद

हे अर्जुन! अगर मैं बह्मांड के प्रबंध (सुरक्षा का काम) सावधान होकर न करुँ तो निःसंदेह सब मनुष्य मेरे मार्ग पर चल पड़े। ( अर्थात ब्रह्मांड नष्ट हो जाए और सब मनुष्य मृत्यु पाकर मेरे पास आ जाए)