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अध्याय 3 ,श्लोक 26



श्लोक

न बुद्धिभेदं जनयेदज्ञानां कर्मसङ्गिनाम् । जोषयेत्सर्वकर्माणि विद्वान्युक्तः समाचरन् ॥26॥

न बुद्धिभेदम् जनयेत् अज्ञानाम् कर्मसंगिनाम् जोषयेत् सर्व कर्माणि विद्वान् युक्तः समाचरन् ।।२६।।

शब्दार्थ

(विद्वान ) ज्ञानी पुरुषों (को चाहिए की) (अज्ञानाम्) अज्ञानी लोग जो (कर्मसङ्गिनाम्) कर्मों को केवल अच्छे फल की लालच में करते हैं। उनकी (बुद्धिभेदम्) बुद्धी में भ्रम (न) न (जनयेत्) उत्पन्न होने दें। (समाचरन्) वेदों के ज्ञान (युक्तः) उनको बताए (सर्व कर्माणि) और उनके सब कर्म (जोषयेत्) (वेदों के अनुसार (हों इसके लिए) प्रेरित करें।

अनुवाद

ज्ञानी पुरुषों (को चाहिए की) अज्ञानी लोग जो कर्मों को केवल अच्छे फल की लालच में करते हैं। उनकी बुद्धी में भ्रम न उत्पन्न होने दें। वेदों के ज्ञान उनको बताए और उनके सब कर्म (वेदों के अनुसार हों इसके लिए) प्रेरित करें।