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अध्याय 4 ,श्लोक 19



श्लोक

यस्य सर्वे समारम्भाः कामसंकल्पवर्जिताः ।
ज्ञानाग्निदग्धकर्माणं तमाहुः पंडितं बुधाः ॥19॥

यस्य सर्वे समारम्भाः काम संङ्कल्प वर्जिताः । ज्ञान अग्नि दग्धः कर्माणम् तम् आहुः पण्डितम् बुधाः ।। १९ ।।

शब्दार्थ

(यस्य ) वह (जिसने) (समारम्भाः) आरम्भ से ही (काम) अपनी काम भावना (अपनी इच्छाओं) को (वर्जिताः ) न मानने का (संङ्कल्प) संकल्प लिया है। (सर्वे) (वह जिसके) सभी (कर्मणाम् ) कर्म की अग्नी में (दम्धः) जल कर शुद्ध हो गए हैं। (तम) वह (पण्डितम् बुधाः) बुद्धिमान ज्ञानी (आहु) कहा जाएगा।

अनुवाद

वह (जिसने) आरम्भ से ही अपनी काम भावना (अपनी इच्छाओं) को न मानने का संकल्प लिया है। (वह जिसके) सभी कर्म दैविक ज्ञान की अग्नि में जल कर शुद्ध हो गए हैं। वह बुद्धिमान ज्ञानी कहा जाएगा।