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अध्याय 4 ,श्लोक 37



श्लोक

यथैधांसि समिद्धोऽग्निर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन । ज्ञानाग्निः सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा ॥37॥

यथा एधांसि समिद्धः अग्निः भस्मसात् कुरुते अर्जुन। ज्ञान-अग्निः सर्व कर्माणि भस्मसात् कुरुते तथा ।।३७।।

शब्दार्थ

(अर्जुन) हे अर्जुन! ( यथा) जिस प्रकार (समिद्धः) जलती हुई (अग्निः ) आग (एधांसि) इंधन (की लकड़ी को) (भस्मसात्) भस्म (कुरुते ) कर देती है। (तथा ) ऐसे ही (ज्ञान-अग्नि) इस दिव्य ज्ञान का (अग्निः) प्रकाश (सर्व) सम्पूर्ण (कर्माणि) (पाप) कर्मों को (भस्मसात्) भस्म (कुरुते ) कर देती है।

अनुवाद

हे अर्जुन! जिस प्रकार जलती हुई आग, इंधन (की लकड़ी को) भस्म कर देती है। ऐसे ही इस दिव्य ज्ञान का प्रकाश सम्पूर्ण पाप कर्मों को भस्म कर देती है।