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अध्याय 4 ,श्लोक 4



श्लोक

अर्जुन उवाच
अपरं भवतो जन्म परं जन्म विवस्वतः । कथमेतद्विजानीयां त्वमादौ प्रोक्तवानिति ॥4॥

अर्जुन उवाच, अपरम् भवतः जन्म परम् जन्म विवस्वतः । कथम् एतत् विजानीयाम् त्वम आदौ प्रोक्तवान् इति ।। ४ ।।

शब्दार्थ

(अर्जुन उवाच) अर्जुन ने प्रश्न किया (विवस्वतः) (हे कृष्ण) (विवस्वतः) (जन्म) (का) जन्म (प्रम) पहले हुआ (अपरम्) बाद में ( भवतः जन्म ) आपका जन्म हुआ (कथम ) ( तो मैं यह ) कैसे (विजानीयाम्) समझू (एतत्) की (त्वम्) तुमने (इति) यह (दिव्य ज्ञान) (आदौ) प्राचीन काल में (विवस्वत से) (प्रोक्तवान्) कहा था।

अनुवाद

अर्जुन ने प्रश्न किया (हे कृष्ण) विवस्वत (का) जन्म पहले हुआ। बाद में आपका जन्म हुआ। (तो मैं यह) कैसे समझू की तुमने यह (दिव्य ज्ञान) प्राचीन काल में (विवस्वत से) कहा था।

नोट

नालन्दा विशाल शब्द कोश (पेज नं.४१४) में 'जन्म' का अर्थ है। १. गर्भ से निकलना २. उत्पत्ति ३. अस्तित्व में आना ४. अविर्भाव ५. सहारा, जीवन ६. आयु अविर्भाव का अर्थ है उदय, अवतरण, जन्म, प्रकट होना।