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अध्याय 4 ,श्लोक 42



श्लोक

तस्मादज्ञानसम्भूतं हृत्स्थं ज्ञानासिनात्मनः ।
छित्वैनं संशयं योगमातिष्ठोत्तिष्ठ भारत ॥42॥

तस्मात् अज्ञान-सम्भूतम् हृत्सथम् ज्ञान आसिना आत्मनः । छित्वा एनम् संशयम् योगम् आतिष्ठ उत्तिष्ठ भारत ।। ४२ ।।

शब्दार्थ

(तस्मात् ) इस कारण (भारत) हे अर्जुन! (अज्ञान) अज्ञान के कारण (हत्सथम) हृदय में जो (संशयम) संशय (सम्भूतम्) जन्म लेता है। उन्हें (एनम्) इस (आत्मनः) ईश्वर के (ज्ञान) ज्ञान की (आसिना) तलवार से (छित्वा) काट दो (योगम्) ईश्वर की प्रार्थना में (अतिष्ट) स्थित रहो और (उत्तिष्ठ) (युद्ध के लिए) खड़े हो जाओ।

अनुवाद

इस कारण, , हे अर्जुन! अज्ञान के कारण हृदय में जो संशय जन्म लेता है। उन्हें इस ईश्वर के ज्ञान की तलवार से काट दो। ईश्वर की प्रार्थना में स्थित रहो और (युद्ध के लिए) खड़े हो जाओ।