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अध्याय 4 ,श्लोक 5



श्लोक

श्रीभगवानुवाच
बहूनि मे व्यतीतानि जन्मानि तव चार्जुन ।
तान्यहं वेद सर्वाणि न त्वं वेत्थ परन्तप ॥5॥

श्री भगवान उवाच बहूनि मे व्यतीतानि
जन्मानि तव च अर्जुन। तानि अहम् वेद सर्वाणि न त्वम् वेत्थ परन्तप ।। ५ ।।

शब्दार्थ

(श्री भगवान उवाच) ईश्वर ने कहा (अर्जुन) हे अर्जुन! (मे) मैं (च) और (तव) तुम (बहूनि ) (इस धरती पर) बहुत बार (जन्मानि) संसार के सम्मुख (व्यतीतानि) आ चुके हैं। (अहम) मैं (तानि) उन (सर्वाणि) सबको (वेद) जानता हूँ (किन्तु) (त्वम्) तुम (उन सबको) (न) नहीं (वेव्य) जानते।

अनुवाद

ईश्वर ने कहा, हे अर्जुन! मैं और तुम (इस धरती पर) बहुत बार संसार के सम्मुख आ चुके हैं। मैं उन सबको जानता हूँ। (किन्तु) तुम (उन सबको) नहीं जानते। (इस श्लोक को समझने के लिए कृपया नोट नं. N-९.१ पढ़िए।)