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अध्याय 5 ,श्लोक 16



श्लोक

ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः । तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम् ॥16॥

ज्ञानेन तु तत् अज्ञानम् येषाम् नाशितम् आत्मनः । तेषाम् आदित्य-वत् ज्ञानम् प्रकाशयति तत् परम् ।।१६।।

शब्दार्थ

( तु) नि:संदेह (तत्) वह (सारे ) ( आत्मनः) मनुष्य (येषाम् ) जिनके (ज्ञानेन) ज्ञान को ( अज्ञानम्) अज्ञानता ने (नाशितम्) नष्ट कर दिया है। (ज्ञानम्) यह सच्चा ज्ञान (तत्) उस (परम्) सबसे श्रेष्ठ ईश्वर को (तेषाम) उन पर (आदित्य-वत्) सूर्य के समान (प्रकाशयति ) प्रकाशित कर देता है।

अनुवाद

नि:संदेह वह (सारे) मनुष्य जिनके ज्ञान को अज्ञानता ने नष्ट कर दिया है। यह सच्चा ज्ञान उस सबसे श्रेष्ठ ईश्वर को उन पर सूर्य के समान प्रकाशित कर देता है।