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अध्याय 6 ,श्लोक 29



श्लोक

सर्वभूतस्थमात्मानं सर्वभूतानि चात्मनि । ईक्षते योगयुक्तात्मा सर्वत्र समदर्शनः ॥29॥

सर्व-भूत-स्थम् आत्मानम् सर्व भूतानि च आत्मनि । ईक्षते योग-युक्त-आत्मा सर्वत्र सम- दर्शनः ।।२९।

शब्दार्थ

(योग-युक्त-आत्मा) ईश्वर की प्रार्थना में लगा हुआ मनुष्य (सर्वत्र ) सभी ओर (सम-दर्शन ) एक जैसा दृश्य (ईक्षते) देखता है (आत्मानम्) (और वह देखता है कि) वह स्वयम (सर्व-भूत स्थम्) सभी प्राणियों पर निर्भर है (च) और (सर्व भूतानि) सभी प्राणी (आत्मानि) ईश्वर (पर निर्भर है) (मनुष्य जीवित रहने के लिए संसार पर निर्भर है। और यह संसार ईश्वर चलाता है)

अनुवाद

ईश्वर की प्रार्थना में लगा हुआ मनुष्य सभी ओर एक जैसा दृश्य देखता है। (और वह देखता है। कि) वह स्वयम् सभी प्राणियों पर निर्भर है और सभी प्राणी ईश्वर पर निर्भर हैं।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा है, “वही (ईश्वर) तो है जिसने तुम्हारे लिए धरती की सारी वस्तूएं उत्पन्न की।” (सूरे अल बकरह (२) आयत (२९))