Home Chapters About



अध्याय 7 ,श्लोक 30



श्लोक

साधिभूताधिदैवं मां साधियज्ञं च ये विदुः । प्रयाणकालेऽपि च मां ते विदुर्युक्तचेतसः ||30||

स-अधिभूत अधिदैवम् माम् स-अधियज्ञम् च ये
विदुः । प्रयाण काले अपि च माम् ते विदुः युक्त चेतसः ।।३०।।

शब्दार्थ

(ये) जो (माम् ) मुझे (स-अधिभूत) सारे प्राणियों का ईश्वर (अधिदैवम) सारे देवताओं का ईश्वर (च) और (स-अधियज्ञक) वह ईश्वर केवल जिसके लिए प्रार्थनाएं की जाती हैं। (विदुः) ऐसा समझता है (युत्क चतस) उसके मन में ईश्वर की पूर्ण श्रद्धा है। (ते) वह (प्रयाण काले) मृत्यु के समय भी (माम् ) मुझे (ही) (विदुः) जानता है (मेरा ही नाम लेता है)

अनुवाद

जो मुझे सारे प्राणियों का ईश्वर। सारे देवताओं का ईश्वर, और वह ईश्वर केवल जिसके लिए प्रार्थनाएं की जाती हैं ऐसा समझता है। उसके मन में ईश्वर की पूर्ण श्रद्धा है। वह मृत्यु के समय भी मुझे (ही) जानता है (मेरा ही नाम लेता है)

नोट

(श्लोक नं. ८.१३ के अनुसार मृत्यु के समय जो ॐ कहेगा जो कि ईश्वर का एक नाम है तो उसे स्वर्ग मिलेगा।)