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अध्याय 7 ,श्लोक 9



श्लोक

पुण्यो गन्धः पृथिव्यां च तेजश्चास्मि विभावसौ ।
जीवनं सर्वभूतेषु तपश्चास्मि तपस्विषु ॥9॥

पुण्यः गन्धः पृथिव्याम् च तेजः च अस्मि विभावसौ । जीवनम् सर्व भूतेषु तपः च अस्मि तपस्विषु ।।९।।

शब्दार्थ

(पृथ्वीयाम् ) पृथ्वी की ( पुण्य) पवित्र (गंध) सुगंध (मैं हूँ) (च) और (विभावसौ) (अग्नि का) (तेज) प्रकाश (अस्मि) (मैं) हूँ (च) तथा (सर्व भुतेषु) सम्पूर्ण प्राणियों में (जीवनम् ) प्राण (मैं हूँ) (च) और (तपस्विषु ) तपस्या करने वालों की (तपः) तपस्या (अस्मि) (मैं) हूँ।

अनुवाद

पृथ्वी की पवित्र सुगंध (मैं हूँ)। और (अग्नि का) प्रकाश (मैं) हूँ। तथा सम्पूर्ण प्राणियों में प्राण (मैं हूँ)। और तपस्या करने वालों की तपस्या (मैं) हूँ।