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अध्याय 8 ,श्लोक 17



श्लोक

सहस्रयुगपर्यन्तमहर्यद्ब्रह्मणो विदुः ।
रात्रिं युगसहस्रान्तां तेऽहोरात्रविदो जनाः ॥17॥

सहस्त्र युग पर्यन्तम् अहः यत् ब्रह्मणः विदुः । रात्रिम् युग सहखान्ताम् ते अहः-रात्र विदः जनाः ।। १७ ।।

शब्दार्थ

( सहस्त्र युग ) मनुष्य के एक हजार वर्ष के (पर्यन्तम् ) बराबर है (अहः) (ईश्वर का) एक दिन (रात्रिम युग) (ईश्वर के एक) रात की अवधि भी (सहस्या याम) (मनुष्य के) एक हजार वर्ष के बराबर है (यत्) जो (ब्रह्मणः) ईश्वर को (विदुः) जानते हैं (ते) वह (जनाः) मनुष्य (अहरात्र) (ईश्वर के) रात दिन को (विदः) अच्छी तरह जानते हैं।

अनुवाद

मनुष्य के एक हजार वर्ष के बराबर है (ईश्वर का) एक दिन। (ईश्वर के एक) रात की अवधि भी (मनुष्य के) एक हजार वर्ष के बराबर है। जो ईश्वर को जानते हैं, वह मनुष्य (ईश्वर के) रात और दिन को अच्छी तरह जानते हैं।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा, “तेरे रब (ईश्वर) के यहाँ एक दिन तुम्हारी गणना के हजार वर्ष जैसा है।" (सुरे-अल-हज्ज (२२) आयत (४७)) स्वर्ग के वर्णन के साथ ईश्वर का एक दिन मनुष्य को एक हजार वर्ष के बराबर है इस सत्य को बताने की क्या अवश्यकता थी? स्वर्ग के वर्णन के साथ ईश्वर के एक दिन की अवधि भी बताई जाती है ताकि मनुष्य स्वर्ग में जाने के लिए एक दिन की भी देरी ना करे। इस बात को आप निम्नलिखित प्रसंग से समझ सकते हैं। श्री अबु सईद खुदरी कहते हैं, “हम अन्य शहरों से आए हुए गरीब लोगों के बीच बैठे हुए थे। एक सहाबी कुरआन पढ़ रहे थे और सब सुन रहे थे। इतने में पैगंबर मुहम्मद साहब (स.) आ गये और हमसे पूछा कि क्या कर रहे हो? हमने कहा, कुरआन पढ़कर समझने का प्रयास कर रहे हैं। पैगंबर साहब (स.) ने ईश्वर की प्रशंसा की और हमारे पास बैठ गए और कहा कि प्रसन्न हो जाओ। ईश्वर तुम्हें सम्पूर्ण नूर (प्रकाश) देगा और धनवान लोगों से आधा दिन पहले स्वर्ग में प्रवेश कराऐगा। और ईश्वर का आधा दिन ५०० वर्ष का है। श्री अबु सईद खुदरी कहते हैं, यह सुनकर हम बहुत प्रसन्न हुए। (हदीस अबु दाऊद) तो जो अपना घर-बार सत्य धर्म के लिए छोड़ जाता और साधारण जीवन व्यतीत करता है। जब उन्हें ज्ञान होगा कि वह धनवान लोगों से ५०० वर्ष पहले स्वर्ग में जाएगा तो उन्हें अपने साधारण जीवन पर कभी पछतावा नहीं होगा।