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अध्याय 8 ,श्लोक 18



श्लोक

अव्यक्ताद्व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्त्यहरागमे । रात्र्यागमे प्रलीयन्ते तत्रैवाव्यक्तसंज्ञके ॥18॥

अव्यक्तात् व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्ति अहः-आगमे । रात्रि-आगमे प्रलीयन्ते तत्र एव अव्यक्त संज्ञके ।।१८।।

शब्दार्थ

(अहः) दिन के (आगमे) आने पर (अव्यक्तात्) (आत्मा) जो दिखाई नहीं देती है (व्यक्तयः) ( वह प्राणियों में) दिखाई देती है। (सर्वाः प्रभवन्ति ) (अर्थात जीवन) सारे प्राणियों में दिखाई देता है ( एवं ) नि:संदेह (इसी तरह) (रात्रि आगमे) रात के आने पर (संज्ञके) (आत्मा) जो की (अव्यक्त) दिखाई नहीं देती (प्रलीयन्ते) (उसकी) मृत्यु हो जाती है।

अनुवाद

दिन के आने पर (आत्मा) जो दिखाई नहीं देती है (वह प्राणियों में) दिखाई देती है। (अर्थात जीवन) • सारे प्राणियों में दिखाई देता है। नि:संदेह (इसी तरह) रात के आने पर (आत्मा) जो की दिखाई नहीं देती (उसकी) मृत्यु हो जाती है।