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अध्याय 8 ,श्लोक 19



श्लोक

भूतग्रामः स एवायं भूत्वा भूत्वा प्रलीयते । रात्र्यागमेऽवशः पार्थ प्रभवत्यहरागमे ॥19॥

भूत-ग्रामः सः एव अयम् भूत्वा भूत्वा प्रलीयते । रात्रि आगमे अवशः पार्थ प्रभवति अहः आगमे ।।१९।।

शब्दार्थ

(रात्रि आगमे) रात के आने पर (सारे प्राणी) (अवशः) अपने आप (प्रलीयते) मृत्यु पाते हैं। (अहः आगमे) दिन के आने पर ( प्रभवति ) (उनमें जीवन) दिखाई देता है। (पार्थ) हे पार्थ (अर्जुन) (भूत-ग्राम) सारे प्राणियों का ( एवं ) नि:संदेह (अयम्) यह सब (सः) उनका ( भूत्वा भूत्वा ) (मेरे द्वारा) बार-बार निर्माण करना या जीवन देना है।

अनुवाद

रात के आने पर (सारे प्राणी) अपने आप मृत्यु पाते हैं। दिन के आने पर (उनमें जीवन) दिखाई देता है। हे पार्थ (अर्जुन) सारे प्राणियों का निःसंदेह वह सब ( मेरे द्वारा) उनका बार-बार निर्माण करना या जीवन देना है।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा, ईश्वर आत्मा को उनकी (मनुष्य की) मृत्यु के समय पूर्णत: कब्जे में कर लेता है, और जो अभी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुआ है, उनकी आत्मा को उसके सोने की अवस्था में कब्जे में कर लेता है। फिर जिसके लिए मृत्यु का फैसला दे चुका होता है उसे रोक लेता है और दूसरों को एक निर्धारित समय तक के लिए छोड़ देता है। निश्चय ही इसमें विचारशील लोगों के लिए बड़ी निशानियाँ है। (सूरे-अज जुमर (३८) आयत (४२)) (अर्थात हमारी रुह जिसका वर्णन अध्याय २ में श्लोक नं. १९ से ३० तक है वह तो हमारे शरीर में रहती है। किन्तु आत्मा जिसका वर्णन अध्याय ६ में श्लोक ५ और ६ में है और जिसमें तीनों गुण और बहुत सारी भावनाएँ होती हैं वह सोते समय शरीर से फरिश्ते निकाल लेते हैं और जागने पर फिर शरीर में प्रवेश करा देते हैं। यही श्लोक नं. ८.१९ में कहा गया है।) श्लोक नं. ८.१८ और ८.१९ यह बात समझायी जा रही है कि जैसे हर दिन मनुष्य की सोते समय अस्थायी (Temporary) मृत्यु और जागने पर जीवन मिलता है। इसी प्रकार वास्तविक मृत्यु के बाद फिर एक जीवन मिलेगा जो अनंतकाल के लिए होगा। और जिस लोक में हमें रहना है उस अन्य लोक का वर्णन श्लोक नं. ८.१९ से ८.२२ तक है।