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अध्याय 8 ,श्लोक 23



श्लोक

यत्र काले त्वनावत्तिमावृत्तिं चैव योगिनः ।
प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ ॥23॥

यत्र काले तु अनावृत्तिम् आवृत्तिम् च एव योगिनः । प्रयाताः यान्ति तम् कालम् वध्यामि भरत ऋषभ ||२३||

शब्दार्थ

(तु) नि:संदेह (भरत ऋषभ) हे भारत में श्रेष्ठ (अर्जुन) (यत्र) जिस (काले) समय (योगिन) ईश्वर की प्रार्थना करने वाला (प्रयाताः) मृत्यु के बाद (अनावृतिम) स्वर्ग (च) और (आवृत्तिम) नर्क ( एवं ) (में) भी (यान्ति) जाएंगे (तम) उस (कालम्) समय (के बारे में तुम्हें) (वक्ष्यामि) बताता हूँ।

अनुवाद

निःसंदेह, हे भारत में श्रेष्ठ (अर्जुन)! जिस समय ईश्वर की प्रार्थना करने वाला मृत्यु के बाद स्वर्ग में और नर्क (में) भी जाएंगे, उस समय (के बारे में तुम्हें) बताता हूँ।