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अध्याय 8 ,श्लोक 24



श्लोक

अग्निर्ज्योतिरह: शुक्लः षण्मासा उत्तरायणम्। तत्र प्रयाता गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्मविदो जनाः ॥24॥

अग्निः ज्योतिः अहः शुक्लः षट्-मासाः उत्तर अयणम् । तत्र प्रयाताः गच्छन्ति ब्रह्म ब्रह्म-विदः जनाः ।।२४।।

शब्दार्थ

(जनाः) वह मनुष्य (जो) (ब्रह्मा-विदः) ईश्वर को जानते है (और उसकी प्रार्थना करते हैं) (प्रयाताः) मृत्यु के बाद (ब्रह्म) ईश्वर (के स्वर्ग में) (शुक्ल:) प्रकाशित पथ से ( गच्छन्ति ) जाएँगे (तत्र) वह (पथ) (अग्निः ज्योतिः) दिव्य तेज से प्रकाशित है (अहः) (जैसे) दिन के समय प्रकाश होता है जब) (षट्-मासाः) छह महिने सूर्य (उत्तर-अयणम्) उत्तर की ओर होता है।

अनुवाद

वह मनुष्य (जो) ईश्वर को जानते हैं (और उसकी प्रार्थना करते हैं) मृत्यु के बाद ईश्वर (के स्वर्ग में) प्रकाशित पथ से जाएँगे। वह (मार्ग) दिव्य तेज से प्रकाशित है। (जैसे) दिन ( के समय प्रकाश होता है) जब छह महिने सूर्य उत्तर की ओर होता है।

नोट

पवित्र कुरआन इस बात की पुष्टी करता है कि आकाश में रास्ते हैं। वह आयत निम्नलिखित है। और आसमान की कसम जिसमें रास्ते हैं। (सूरह अज़-जारियात ५१, आयत७)