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अध्याय 8 ,श्लोक 9



श्लोक

कविं पुराणमनुशासितार-मणोरणीयांसमनुस्मरेद्यः ।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूप- मादित्यवर्ण तमसः परस्तात् ॥9॥

कविम् पुराणम् अनुशासितारम् अणोः अणीयांसम् अनुस्मरेत् यः । सर्वस्य धातारम् अचिन्त्य रुपम् आदित्य-वर्णम् तमसः परस्तात् ।।९।।

शब्दार्थ

(यः) (ऐसा व्यक्ति जिसका मन सदैव ईश्वर के स्मरण में व्यस्त रहता है) वह (अनुस्मरेत् ) (ईश्वर को इस प्रकार) याद करता है (कि ईश्वर) (कविम्) ब्रह्मा (सृष्टि का रचयिता है) (पुराणम्) सबसे प्राचीन है (अनुशासितारम्) ब्रह्माण्ड का नियंत्रण करने वाला (अणोः अणीयासम्) अणु और उससे भी छोटे कण को जानता है। (सर्वस्व धातारम् ) सबको पोषण करने वाला (अचिन्त्य रुपम्) जिसके रुप को समझ नहीं सकता (आदित्य-वर्णम्) वह सूर्य की तरह प्रकाश स्वरुप (सबको जीवन देने वाला) (तमस परस्तात्) और वह बिना दोष के हैं। नोट: 'कविम' के कुछ अर्थ-इस प्रकार है। १. कविता का रचियता २. पंडित ३. शुक्र ४. सूर्य ५. ब्रह्मा ६. ऋषि (पेज नं. २१७ नालंदा विशाल शब्द सागर)

अनुवाद

(ऐसा व्यक्ति जिसका मन सदैव ईश्वर के स्मरण में व्यस्त रहता है) वह (ईश्वर को इस प्रकार ) याद करता है (कि ईश्वर) ब्रह्मा (सृष्टि का रचयिता है)। सबसे प्राचीन है। ब्रह्माण्ड का नियंत्रण करने वाला । अणु और उससे भी छोटे कण को जानता है। सबका पोषण करने वाला है। (वह ऐसा है कि उस) के रुप को समझ नहीं सकता। वह सूर्य की तरह प्रकाश स्वरुप (सबको जीवन देने वाला), और वह बिना दोष के हैं।

नोट

ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा कि, “ईश्वर आकाशों और धरती का पैदा करनेवाला है। उसने तुम्हारे लिए तुम्हारी अपनी सहजाति से जोड़े बनाए और चौपायों के जोड़े भी। और इस तरीके पर तुमको फैलाता रहता है। ईश्वर जैसी कोई चीज़ नही । वह सब कुछ सुनता, देखता है। (सूरे अश-शुरा- ४२ आयत ११)