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अध्याय 9 ,श्लोक 14



श्लोक

सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रताः ।
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते ॥14॥

सततम् कीर्तयन्तः माम् यतन्तः च दृढ-व्रताः । नमस्यन्तः च माम् भक्त्या नित्य-युक्ताः उपासते ।।१४।।

शब्दार्थ

(ज्ञानी, मुनि, पवित्र लोग) (सततम्) सदैव (कीर्तयन्तः) मेरी प्रशंसा करते हैं (च) और ( यतन्तः) प्रयास करते हैं (दृढ-व्रता) दृढ़ संकल्प के साथ (नमस्यन्त) मुझे नमस्कार (सजदा / प्रणाम) करने की (और) (भक्त्या) श्रद्धा के साथ (माम्) मेरे (उपासते) प्रार्थना में (नित्य युक्ताः) सदैव लगे रहते हैं।

अनुवाद

ज्ञानी, मुनि, पवित्र लोग सदैव मेरी प्रशंसा करते हैं और प्रयास करते हैं दृढ़ संकल्प के साथ मुझे नमस्कार (सजदा / प्रणाम) करने की और श्रद्धा के साथ मेरे प्रार्थना में सदैव लगे रहते हैं।