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अध्याय 9 ,श्लोक 3



श्लोक

अश्रद्दधानाः पुरुषा धर्मस्यास्य परन्तप ।
अप्राप्य मां निवर्तन्ते मृत्युसंसारवर्त्मनि ॥3॥

अश्रद्दधानाः पुरुषाः धर्मस्य अस्य परन्तप । अप्राप्य माम् निवर्तन्ते मृत्युः संसार वर्त्मनि।।३।।

शब्दार्थ

(परन्तप ) हे अर्जुन ( पुरुषा:) (जो) मनुष्य (अश्रद्दधानाः) श्रद्धा नहीं रखते (अस्य) इस (धर्मस्य) धर्म में (अप्राप्य माम् ) वह मेरे (स्वर्ग) को) प्राप्त नहीं कर पाते (मृत्यु: संसार) वह मृत्यु के संसार (नर्क) (वर्त्मनि) (के) मार्ग पर (निवर्तन्ते) लौट जाते हैं। (नर्क को मृत्यु संसार कहा गया है। कारण कि यातनाओं के कारण व्यक्ति बार-बार मृत्यु पाता है और निरंतर यातना देने के लिए उसे हर बार जीवित किया जाता है।)

अनुवाद

हे अर्जुन! (जो) मनुष्य श्रद्धा नहीं रखते इस धर्म में वह मेरे (स्वर्ग को) प्राप्त नहीं कर पाते। वह मृत्यु के संसार (नर्क) (के) मार्ग पर लौट जाते हैं।

नोट

पवित्र कुरआन में लिखा है कि, तुम्हारे रब ने कहा कि तुम मुझे पुकारो, मैं तुम्हारी प्रार्थनाएँ स्वीकार करूँगा। जो लोग मेरी बन्दगी के मामले में घमंड से काम लेते हैं, निश्चय ही वे शीघ्र ही अपमानति होकर नरक में प्रवेश करेंगे। (सूरह अल मोमिन-४०, आयत ६० )