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Authenticity Of Translations

प्रस्तावना

डॉ. रेखा व्यास जी ने यह प्रस्तावना डॉ. साजिद सिद्दीकी साहब जी के भगवद् गिता के अनुवाद के लिए लिखी थी। आप की जानकारी के लिए हम उसे यहाँ कॉपी कर रहे है।

-डॉ. रेखा व्यास
(चारों वेदों की अनुवादक एवं अठारह प्रकाशित पुस्तकों की लेखिका) आमुख-अद्भुत मिसाल और मशाल

“मेरे परिचित अक्सर मुझे कहते हैं हमारी तरह आप भी परिचितों के काम किया कीजिये इससे अच्छा रहता है।" मैं उनसे कहती हूँ मैं जिनका काम करती हूँ वो परिचित ही हो जाते हैं, काम के माध्यम से हुआ परिचय बेहद पुख्ता, आत्मीय और ठोस होता है। डॉ. साजिद जी से भी परिचय बहुत विशाल कार्य के माध्यम से हुआ और इतना पुख्ता हो गया कि लगता ही नहीं कि यह मेरे वेदों के अनुवाद की प्रशंसा में आये उनके फोन की प्रतिक्रिया का सुपरिणाम है और नया परिचय है। कर्म प्रधान विश्वरचि राखा

कर्म सृष्टि का मूल है और गीता का मूल यही कर्म है। साजिद जी ने इसी कर्म ग्रन्थ गीता यानी श्रीमद्भगवदगीता का अनुवाद करके इसमें कर्मठता का एक और नया अध्याय जोड़ दिया है। इतने ग्रन्थों में से यदि इन्होंने इस ग्रन्थ का चयन किया है तो निश्चित ही इनके मन मस्तिष्क पर उसके दर्शन की छाप होगी ही।

डॉ. श्री. साजिद ने बहुत सरल, आम बोल चाल और आत्मिय में यह अनुवाद किया है। यह इस अनुवाद का सबसे सशक्त तथा प्राणवान पक्ष है। उर्दू का पुट इसे लाखों लोगों तक संचारी बनाएगा। डॉ. साजिद गीता के मर्म तक पहुँचे हैं, यह भी अनुवाद की ताकत है, केवल शब्दानुवाद हो तो वो बात नहीं बनती।

यह अनुवाद महज अनुवाद या तर्जुमा भर नहीं है, किसी ग्रन्थ का भाषान्तरण भर नहीं है। अपितु संस्कृतियों का संगम, राष्ट्रीय एकता की मिसाल है जो हमारी सबसे बड़ी आवश्यकता है। आज भारत पुनः विश्वगुरु और ताकत बन जाए यदि यह पारस्परिक वैमनस्य और खण्डन की भावना खत्म हो जाए।

दुर्भाग्य से हमने महान ग्रन्थों को धर्म के हवाले से देखने की आदत पाल रखी है, जबकि यह आचार शास्त्र हैं इन्हें कोई भी अपना सकता है। ये सबके हैं सब इनके हैं। डॉ साजिद के अनुवाद से समाज के काफी भ्रम टूटेंगे। गीता के बारे में कम जानने वाले इसे युद्ध ग्रंथ समझने की भूल कर लेते हैं, जब कि यह कर्तव्य की ओर केन्द्रित करने वाला ग्रन्थ है। स्व-पर का भेद मिटाने, देह और आत्मा का अन्तर बताने वाला ग्रन्थ है। आज के भटकते, भूलते भोगवाद की ओर उन्मुख होते समाज के लिए डॉ. साजिद का अनुवाद “अद्भुत मिसाल और मशाल" है।

-डॉ. रेखा व्यास
(दिल्ली)