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N-2.2.3 आत्मा का जन्म

• ईश्वर ने पवित्र कुरआन में कहा कि, ऐ पैगम्बर, लोगों को याद दिलाओ वह समय जबकि तुम्हारे ईश्वर ने आदम की पीठों से उनकी नस्ल (सभी मनुष्यों) की आत्माओं को स्वर्ग लोक में निकाला था और उन्हें खुद उनके ऊपर गवाह (साक्षी) बनाते हुए पूछा था, “क्या मैं * तुम्हारा ईश्वर नहीं हूँ? उन्होंने कहा, “जरुर, आप ही हमारे ईश्वर हैं, हम इस पर गवाही देते हैं।” (ईश्वर ने कहा कि ) यह हमने इसलिए किया कि कहीं तुम कयामत के दिन यह न कह दो कि, “हम तो इस बात से बेखबर थे", या यह न कहने लगो कि शिर्क (बहुदेववाद) का आरम्भ तो हमारे बाप-दादा ने हमसे पहले किया था और हम उसके पश्चात उनकी नस्ल से पैदा हुए, फिर क्या आप हमें उस अपराध में पकड़ते हैं जो गलतकार ( पहले गुजर चूके गुमराह) लोगों ने किया था?” (पवित्र कुरआन सूरे अल-आराफ७: १७२-१७३)

• और ऐ पैगम्बर (मुहम्मद ) याद रखो, उस प्रतिज्ञा को जो हमने सब पैगम्बरों से (स्वर्ग लोक में) ली हैं, तुमसे भी और नूह और इब्राहीम और मूसा और मरयम के बेटे ईसा से भी। सबसे हम दृढ़ वचन ले चुके हैं। कुरआन सूरे अल-अहजाब ३३:७) (पवित्र
ऊपर लिखी गई आयतों से हम यह निष्कर्ष निकालते हैं कि,

१. ईश्वर ने सभी मनुष्यों की आत्माओं की रचना स्वर्ग में मनुष्य ( आदम) के साथ या में पहले की थी ।

२. जन्म के पहले आत्मा इतनी छोटी थी कि सारे मानवजाति की आत्माएं हजरत आदम के पीठ पर समा सकती थीं।

३. ईश्वर ने आरम्भ में ही आत्मा को परिपूर्ण व्यक्तित्व के साथ निर्माण किया था। इसी कारण वह ईश्वर के प्रश्न का उत्तर दे सकी।

जैसे एक ॲटोम (Atom) परमाणु बहुत छोटा होता है। किन्तु उसमें उसके (Substance ) पदार्थ के सारे गुण होते हैं। इसी प्रकार आरम्भ में आत्मा बहुत छोटी होती है किन्तु उसमें मनुष्य के सभी गुण होते हैं।