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N-11 श्लोक नं. ४.४१ का स्पष्टिकरण

पवित्र कुरआन की दो आयत इस प्रकार
है।

कुछ नहीं, तुम तो (प्रलय के दिन कर्मों का) बदला दिए जाने को झुठलाते हो।

“हालाँकि तुम पर निरीक्षण करने वाले (फरिश्ते) नियुक्त हैं। (फरिश्ते) निष्ठावान हैं (और कर्मों को) लिखते जाते हैं।” (पवित्र कुरआन सूरे अल-इन-फीतार ८२:९-११)

• "उस दिन (प्रलय के दिन) लोग अलग अलग (समूह) में निकलेंगे कि उन्हें उनके कर्म दिखाए जाए तो जो कणभर भी कोई भलाई करेगा वह उसे देख लेगा। और जो कणभर भी कोई बुराई करेगा वह उसे देख लेगा।” (पवित्र कुरआन, सूरे अल-जिलजाल ९९ ६-८)

• पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.) ने कहा, “प्रलय के दिन कोई व्यक्ति अपने स्थान से उस समय तक न हिल सकेगा जब तक वह पाँच प्रश्नों के उत्तर ना दे दें। वह पाँच प्रश्न निम्नलिखीत हैं।

१. जीवन कैसे व्यतीत किया?
२. यौवन का कैसे उपयोग किया ?
३. धन कैसे कमाया ?
४. धन कहाँ खर्च किया? ५. अपने ज्ञान का क्या किया?
पैगम्बर मुहम्मद साहब (स.) ने कहा, मेरे अनुयायियों में ७०००० ऐसे होंगे जो प्रलय के दिन बिना कर्मों का हिसाब दिए स्वर्ग में जाएंगे। यह वह होंगे जो ईश्वर में दृढ श्रद्धा रखते हैं। (हदीस: मस्नदे अहमद)

• श्लोक नं. ४.४१ इस प्रकार है।

योग संन्यस्त कर्माणम् ज्ञान सचिन्न संशयम् ।
आत्म-वन्तम् न कर्माणि निबध्नन्ति धनञ्जय ।। ४१ ।।

हे अर्जुन जो ईश्वर से जुड़ने वाली प्रार्थना करता हैं। जो अपने सत्कर्मों (के फल को) छोड़ देता है। जो ज्ञान के प्रकाश से अपने शक (संदेह) को दूर करता है। ईश्वर में दृढ़ श्रद्धा वाला ऐसा व्यक्ति कर्मों से बंधा नहीं रहता।

• इस श्लोक का अर्थ कुरआन और हदीस के प्रकाश में ऐसा है कि जिस ने ज्ञान से अपने संदेह को दूर किया और ईश्वर में दृढ श्रद्धा रख कर उसकी प्रार्थना की। जिसने जीवन नि:स्वार्थ सेवा करने में व्यतीत किया। प्रलय के दिन उसके कर्म उसे स्वर्ग में जाने से नहीं बाँधेगे या नही रोकेंगे। वह बिना कर्मों का हिसाब दिए स्वर्ग में जाएगा।