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N-2.2.7 गुण शरीर के बदले आत्मा में होते है

भगवद् गीता में तीन गुणों का वर्णन है।

१. सतो गुण: यह गुण पुण्य की तरफ ले जाता है। इसे कुरआन में 'मुत्माइन्ना' कहा गया है। (सूरे अल फजर ८९ आयत २७-३०)

२. रजो गुणः यह गुण निरंतर परिश्रम (Passion) की तरफ ले जाता है। इसे कुरआन में 'लव्वामा' कहा गया है। (सूरे कियामा ७५ आयत १-२ )

३. तमो गुणः यह गुण अज्ञानता और पाप की तरफ ले जाता है। इसे कुरआन में 'अम्माराह' कहा गया है। (सूरे- युसूफ १२,आयत ५३) इन तीनों गुणों का वर्णन भगवद् गीता में अध्याय नं. १४ में विस्तार से है।

पवित्र कुरआन की एक आयत इस प्रकार है। “हे शान्त आत्मा, लौट चल अपने ईश्वर की ओर, इस तरह कि तू उससे प्रसन्न (ईश्वर कि कृपा से संतुष्ट) और वह (ईश्वर) तुझ से प्रसन्न। (और तू) शामिल हो जा मेरे (पवित्र) बन्दों में । और प्रवेश कर मेरे स्वर्ग में।”
( पवित्र कुरआन, सूरे अल-फजर ८९, आयत २७
३०)

इस आयत में अरबी शब्द है 'नफसे-मुत्मा इन्ना' । 'नफ्स' का अर्थ है आत्मा और 'मुत्माइन्ना' का अर्थ है सतो गुण ।

'नफ्से मुत्माइना' का अर्थ हुआ सतो गुण वाली आत्मा। इस आयत से हम यह भी निष्कर्ष निकालते हैं कि गुण आत्मा में ही होते हैं।