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N-2.2.8 मनुष्य में चेतना या होश हवाश या (Consciousness) आत्मा के कारण होता है।

भगवद् गीता के दो श्लोक इस प्रकार हैं।

• अव्यक्तात् व्यक्तयः सर्वाः प्रभवन्ति अह:-आगमे ।
शरात्रि-आगमे प्रलीयन्ते तत्र एव अव्यक्त संज्ञके ।।८.१८।।


(अहः) दिन के (उगमे) आने पर (अव्यक्तात्) (आत्मा) जो दिखाई नहीं देती है (व्यक्तयः) (वह प्राणियों में) दिखाई देती है। (सर्वा: प्रभवन्ति) (अर्थात जीवन) सारे प्राणियों में दिखाई देता है ( एवं) नि:संदेह (इसी तरह) (रात्री आगमे) रात के आने पर (संज्ञके) (आत्मा) जो कि (अव्यक्त) दिखाई नहीं देती (प्रलीयन्ते) (उसकी) मृत्यु हो जाती है।
दिन के आने पर (आत्मा) जो दिखाई नहीं देती है ( वह प्राणियों में दिखाई देती है। (अर्थात जीवन) सारे प्राणियों में दिखाई देता है। नि:संदेह (इसी तरह) रात के आने पर (आत्मा) जो कि दिखाई नहीं देती (उसकी) मृत्यु हो जाती है।

• भूत-ग्राम: सः एव अयम् भूत्वा भूत्वा प्रलीयते ।
शरात्रि आगमे अवशः पार्थ प्रभवति अहः आगमे ।।८.१९।।


(रात्रि आगमे) रात के आने पर (सारे प्राणी) (अवश:) अपने आप (प्रलीयते) मृत्यु पाते हैं। (अहः आगमे) दिन के आने पर (प्रभवति) (उनमें जीवन) दिखाई देता है। (पार्थ) हे पार्थ (अर्जुन) (भूत-ग्राम) सारे प्राणियों का ( एवं ) नि:संदेह (अयम्) यह सब (स:) उनका (भूत्वा भूत्वा) (मेरे द्वारा) बार बार निर्माण करना या जिवन देना है।

रात के आने पर (सारे प्राणी) अपने आप मृत्यु पाते है। दिन के आने पर (उनमें जीवन) दिखाई देता है। हे पार्थ (अर्जुन) सारे प्राणियों का निःसंदेह यह सब (मेरे द्वारा) उनका बार बार निर्माण करना या जीवन देना है।

इस बात को ईश्वर ने पवित्र कुरआन में इस तरह कहा है।

• ईश्वर आत्मा को उनकी ( मनुष्य की) मृत्यु के समय पूर्णत: ग्रस्त लेता है, (कब्जे में कर लेता है) और जो अभी मृत्यु को प्राप्त नहीं हुआ है, उसे उसके सोने की अवस्था में (ग्रस्त लेता है)। फिर जिसके लिए मृत्यु का फैसला दे चुका होता है उसे रोक लेता है और दूसरों को एक नियुक्त समय तक के लिए छोड़ देता है। निश्चय ही इसमें विचारशील लोगों के लिए बड़ी निशानियाँ हैं। (सूरह अज जुमा ३९, आयत ४२)

• इसका अर्थ है मनुष्य जब सोता है तो फरिश्ते उसकी आत्मा को शरीर से बाहर निकालकर अपने कब्ज़े में कर लेते हैं।

जिनके भाग्य में सोते में ही मृत्यु लिखी होती है उनकी आत्मा फिर शरीर में प्रवेश नहीं करती है? और जिनका मृत्यु का समय नहीं हुआ उनकी आत्मा को जागते समय फरिश्ते शरीर में प्रवेश करा देते हैं। इस तरह हर दिन हमारी आत्मा शरीर से निकलती और फिर शरीर में समाती है।

• इस आयत से हम यह बात भी समझ सकते हैं कि चेतना या होश हवाश या Consciousness मनुष्य में आत्मा के कारण होता है। और रुह से विवेक, Conscience, बुद्धि, Intelligence होता है।

सोते समय शरीर में प्राण होते हैं। जिससे हमारा हृदय धड़कता रहता है। रुह होती है जिससे हम स्वप्न में भी अच्छी तरह अपनी बुद्धि का प्रयोग कर सकते हैं। केवल आत्मा नहीं होती इस कारण हम होश में नहीं होते हैं।