Home Chapters About



N-1.3 ईश्वर को हर चीज़ का ज्ञान कैसे है?

जब हम बिजली का स्विच ऑन करते हैं, तो बिजली का बल्ब अपनी रोशनी फैलाता है। बल्ब शक्ति का एक छोटा सा स्त्रोत है, इसलिए बल्ब के द्वारा फैलती रोशनी कमजोर होती है। और एक सनग्लास (Sunglass) के द्वारा रोकी भी जा सकती है। एक वेल्डिंग आर्क (Welding Arc) के शक्ति का स्तर उंचा होता है। इसलिए इसकी किरणें सादा सनग्लास के द्वारा नहीं रोकी जा सकती हैं। बल्कि इसकी (Ultraviolet) अल्ट्रावॉयलेट किरणों को रोकने के लिए एक विशेष ग्लास की आवश्यकता होती है।

एक्स-रे उच्चतर स्तर की शक्ति रखती है और वेल्डिंग ग्लास के द्वारा भी नहीं रोकी जा सकती है। यहाँ तक कि मनुष्यों का मांस भी इसे नहीं रोक सकता है। यह हड्डियों की तरह घने पदार्थ के द्वारा ही रोकी जा सकती है।

रेडियो एक्टिव किरणें यूरेनियम इत्यादि से निकलती हैं, जो ऍटोमिक प्लांट्स में प्रयोग की जाती हैं। यह ऐसी उच्च स्तर की शक्ति रखती हैं कि वे मनुष्य की हड्डियों, लकड़ी के पार्टिशन और ईटों की दीवार से भी आर-पार हो जाती हैं। उनको रोकने के लिए वैज्ञानिक शिशे (Lead) के ईंट कि तीन फीट मोटी दीवार बनाते हैं। इसलिए जितनी अधिक उच्च स्तर की शक्ति का स्त्रोत होगा उससे उतनी शक्तिशाली और पदार्थों के आर-पार होकर गुजरने वाली किरणें निकलती हैं।

मैंने एक व्यक्ति को अपनी आँखों की टकटकी से मेज़ पर सिक्के को चलाते हुए देखा है। कई योगी और ऋषि जो कुंडलिनी जाग्रत करते हैं,

वे अपनी आँखो की टकटकी से वस्तुओं को भी हिला सकते हैं। उपर्युक्त दो उदाहरणों से मैं मानता हूँ कि आँखों की दृष्टी भी प्रकाश की किरणों की तरह हैं जिनमें उर्जा और चुंबक की तरह ताकत (Magnetic energy) है। जिसे वैज्ञानिक अभी भी नहीं समझा सके हैं।

• ईश्वर के तेज़ को हम भगवद् गीता के निम्नलिखित श्लोक से समझ सकते हैं।

दिवि सूर्य सहस्त्रस्य भवेत् युगपत् उत्थिता यदि भा:
सहशी सा स्यात भासः तस्य महात्मनः ।।११.१२।।


उसी समय अर्जुन ने ईश्वर के तेज को भी देखा वह ऐसा था कि यदि आकाश में हजारों सूर्य एक साथ निकलें तो भी उनका प्रकाश उस महान ईश्वर के तेज के समान न हो पाए।

पवित्र कुरआन के सूरह अल-कहफ- १८, आयत नं. ३९ में लिखा है कि ईश्वर के अतिरिक्त किसी में कोई शक्ति नहीं।

अर्थात इस ब्रह्माण्ड में ईश्वर ही शक्ति का मूल
स्त्रोत है।

•इस ब्रम्हांड में, महान ईश्वर ही शक्ति का मूल और उच्चतम स्त्रोत है। इसलिए उसका
प्रकाश उच्चतम स्थिति अथवा स्तर रखता है और इसलिए उसकी दृष्टि और उसका प्रकाश ब्रम्हांड में प्रत्येक वस्तुओं से गुज़र सकता है। एक किरण जो रेडिओएक्टिव पदार्थ द्वारा निकलती है, वह शिशे की मोटी दीवार द्वारा तो रोकी जा सकती है। लेकिन ईश्वर की दृष्टि को कुछ भी नहीं रोक सकता है। यह संपूर्ण ब्रम्हांड ईश्वर के सामने पारदर्शी है।

• प्रकाश के किरणों की गति ३००००० Km / sec. है। इस गति से चलने के बावजूद सूर्य की किरणों को धरती पर पहुँचने के लिए ८ मिनट लगते हैं। लेकिन ईश्वर के प्रकाश की गती इतनी अधिक है कि ब्रम्हांड के सीमा पर भी ईश्वर का प्रकाश या दृष्टि शुन्य (Zero) सेकंड में पहुँचती है। क्योंकि ईश्वर के प्रकाश की गति अनंत (Infinite) है।

• ईश्वर ने कहा है:

'जो कुछ भी तुम बताते हो अथवा जो तुम अपने हृदय में छिपाते हो, वह उसे जानता है।' (पवित्र कुरआन २:२८४ सारांश) कुछ भी

• ईश्वर ने कहा:

“हमने मनुष्य को पैदा किया है और हम जानते हैं जो बातें उसके जी में आती है। और हम उससे उसकी गरदन की रग से भी अधिक निकट है।” (पवित्र कुरआन ५०:१६ सारांश)

• ईश्वर ने कहा:

• "क्या वह नहीं जानेगा जिसने पैदा किया ? वह सूक्ष्मदर्शी, खबर देने वाला है।" (पवित्र कुरआन ६७:१४ सारांश)

• क्योंकि उसकी दृष्टि हमसे होकर गुजरती है, इसलिए उससे हमारा कुछ भी छिपा नहीं हैं, सब कुछ वह जानता है। वह हमारे शरीर की प्रत्येक कोशिका, प्रत्येक परमाणु और कण कण जानता है। यहाँ तक कि हमारे हृदय की हर धड़कन, हमारे मन की प्रत्येक बात वह जानता है। निश्चित रूप से वह हमसे हमारे शरीर की रक्तवाहिनियों से भी अधिक नज़दीक है। तथा इस संसार में कहीं भी, किसी भी समय ईश्वर की इच्छानुसार शक्ति और पदार्थ रुप धारण करते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि वह हर जगह विद्यमान है, सर्वव्यापक (Omnipresent) है।

• पवित्र कुरआन के सूरह ४२ आयत ११ का अर्थ है कि ईश्वर के जैसा कुछ भी नहीं है।
तो हम जो कुछ भी उदाहरण दे रहे हैं यह केवल मेरे अपने और हम सभी के समझने समझाने के लिए दे रहे हैं। वास्तव में ईश्वर के बारे में ईश्वर के अतिरिक्त और कोई नहीं जानता।