Home Chapters About



N-14 शंकरजी और हजरत आदम (अ.) में समानताएं

• यदि हम शंकर जी के जीवन का अध्ययन करें तो हमें उनसे या उनके जीवन से जुड़े सात तथ्यों का पता चलता है।

शंकरजी के बारे में तथ्य हमें शिवपुराण में मिलतेहैं। वह सात घटनाएं या तथ्य निम्नलिखित हैं:-

१) शंकरजी बिना माता पिता के अस्तित्व में आए। जब ब्रह्माजी ईश्वर की याद में ध्यान लगाए बैठे थे तब शंकरजी उनके माथे से प्रकट हुए।

• तपस्यतश्च सृष्टयर्थं ध्रुवोर्ग्राणस्य मध्यतः ।
अविमुक्ताभिधाद्देशात् स्वकीयान्मे विशेषतः॥५५॥

(शिव पुराण, भाग- १, रुद्र का प्रकटीकरण, अध्याय १५, पेज नं. २४८)

२) जब शंकरजी अस्तित्व में आए तो आपका आधा शरीर पुरुष और आधा स्त्री का था।

• त्रिमूर्तीना महेशस्य प्रादुरासीद् घृणानिधिः ।
अर्द्धनारीश्वरो भूत्वा पूर्णांशः सकलेश्वरः ॥५६॥

(शिव पुराण, भाग-१, रुद्र का प्रकटीकरण, अध्याय १५, श्लोक नं. ५६, पेज नं. २४९)

३) दक्ष ने शंकरजी का अपमान किया था।

एते हि सर्वे च सुराऽसुरा भृशं नमन्ति मां विप्रवरास्तथर्षयः ।
कथं हासौ दुर्जनवन्महामनास्त्वभूत्तु यः प्रेतपिशाचसंवृतः ।१४।

(शिव पुराण, भाग - १, रुद्र संहिता, सेक्शन-२, सती कथा, अध्याय २६, श्लोक १४-१६, पेज नं. ३९६)

४) इस अपमान के कारण आकाशवाणी (ईश्वर) ने दक्ष को शाप दिया और धिक्कार दिया था।

ज्वलत्वद्य मुखं वै यज्ञध्वंसौ भवत्वति ।
सहायास्तव यावन्तस्ते ज्वलन्वद्य सत्वरम् ।३०।

(शिव पुराण, भाग- १, रुद्र संहिता सेक्शन- २, सती कथा, अध्याय ३१, श्लोक १-२, पेज नं. ४१७)

५) दक्ष ने जो शंकर जी का अपमान किया था,
इस अपमान से क्रोधित होकर आपकी पत्नी सती देवी ने अपना शरीर स्वर्ग लोक में त्याग दिया और धरती पर मेना पहाड़ की बेटी अपनी खुशी से बन गई। धरती पर आपका नाम पार्वती था।

समयं प्राप्यं सा देवी सर्वदेवस्तुता पुनः ।
सती त्यक्ततनुः प्रीत्या मेनकातनयाऽभवत् ।६।

(शिव पुराण, भाग- २, पार्वती खण्ड, सेक्शन- २, सती खण्ड, अध्याय १, श्लोक ४४-४५, पेज नं. २७८)

६) इस धरती पर शंकर जी और पार्वती जी का फिर विवाह हुआ और आप दोनों हरम के पवित्र
धरती पर रहने लगे।

तत्रौद्यनमुप्राप्य देव्या सह महेश्वरः ।
हरम रमणीयासु दिव्यान्तः पुरभूमिषु ।२३।

(शिव पुराण, भाग-४, वायव्यीया संहिता, सेक्शन-१, अध्याय २४, श्लोक २३, पेज १८५९)

७) शंकरजी और पार्वती जी के दो पुत्र थे।
गणेश और कार्तिकेय विवाह के वाद विवाद और गणेशजी के कारण कार्तिकेय हमेशा के लिए माता पिता को छोड़कर चले गए।

न स्थातव्यं मया तातौ क्षणमप्यत्र किश्चन
यद्येवं कपटं प्रीतिमपहाय कृतं मयि ।२५।

(शिव पुराण, रुद्रसंहिता, कुमार खण्ड-४, अध्याय २०, पेज नं ७७५, श्लोक-२५)

• यदि हम हजरत आदम (अ.स.) के जीवन का अध्ययन करें तो सात घटनाएं या तथ्य जो शंकरजी के साथ हुए हैं, हम पाते हैं कि वही सात घटनाएं या तथ्य हजरत आदम के साथ भी हुए हैं।

वह सात घटनाएं निम्नलिखित है:

१) आप बिना माता पिता के अस्तित्व में आए |
(पवित्र कुरआन, सूरे अल-हिजर (१५), आयत २९)

२) ईश्वर ने हजरत हव्वा को आपके शरीर के बांए (Left) भाग से उत्पन्न किया। (पवित्र कुरआन, सूरे निसा (४), आयत १)

३) इब्लीस ने आपको आदरयुक्त प्रणाम (सज्दा) नहीं किया।
(पवित्र कुरआन, सूरे अल हिजर (१५), आयत ३२)

४) आपका आदर न करने के कारण ईश्वर ने इब्लीस को धिक्कार दिया और स्वर्ग से निकाल दिया।
( पवित्र कुरआन, सूरे हिजर (१५), आयत-३४)

५) इब्लीस के कारण हजरत आदम और हजरत हव्वा भी स्वर्ग से निकाले गए।
( पवित्र कुरआन, सूरे अल आराफ (७), आयत २४)

हजरत हव्वा धरती पर मिना में (मक्का के पास एक स्थान) पर उतरी और हजरत आदम(अ.स.) का आगमन श्रीलंका में हुआ।

६) आप दोनों मक्का के निकट अराफात में मिले और आकर हरम की पवित्र धरती (मक्का) में बस गए। आपने पहली बार काबा का निर्माण किया। (पवित्र कुरआन, सूरे आले इमरान (३), आयत- ९६, हदीस बेहकी)

७) पहले आपके दो पुत्र थे। काबिल (cain) और हाबिल (Abel)। विवाह के वादविवाद में बड़े बेटे काबिल ने छोटे बेटे हाबिल का वध कर दिया।
(पवित्र कुरआन, सूरे माईदा (५), आयत २७-३१)

• श्रीलंका में श्री पद नाम का एक पहाड़ है। यहाँ पर मनुष्य के एक बहुत बड़े पैर के निशान है। इस निशान को हिन्दू समुदाय के लोग शंकरजी के पद का निशान कहते हैं। और मुसलमान और इसाई पैगम्बर आदम के पद का निशान कहते हैं।

इससे हम अनुमान लगा सकते हैं कि दोनों एक व्यक्तित्व हो सकते हैं।

(इस पद के निशान को आप युट्युब पर निम्नलिखित लिंक द्वारा देख सकते है।)