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N-15 प्रलय की वास्तविकता

सभी धार्मिक ग्रंथों में प्रलय का वर्णन है। किन्तु यह प्रलय केवल कल्पना है यह वास्तव में होगा? हम विज्ञान के आधार पर इसको समझने का प्रयास करते हैं।

सूर्य में परमाणु संलयन (Atomic Fusion) की प्रक्रिया निरंतर होती रहती है। हेलियम गैस के दो एटम Fusion के द्वारा मिलकर एक By product बनाते है और इस प्रक्रिया में गर्मी और प्रकाश उत्पन्न होता है, जो हमारी सौर मंडल Solar System और हम प्राप्त करते हैं। जिस प्रकार तेल और पेट्रोल पृथ्वी में एक सीमित मात्रा में हैं और एक समय के पश्चात यह खत्म हो जायेंगे। इसी प्रकार सूर्य में हेलियम गैस सीमित है और एक समय के पश्चात खर्च हो जाएगी। वैज्ञानिक अनुमान लगाते हैं कि इसे बहुत ज्यादा समय लगेगा, लेकिन कोई भी यह भविष्यवाणी नहीं कर सकता है कि यह कब होगा?

जब हेलियम गैस खर्च हो जाएगा और Fusion Process रुक जाएगा, तो सूर्य ठंडा होना शुरु हो जायेगा और सूर्य तथा इस सोलर सिस्टम के मरण की प्रक्रिया शुरु हो जायेगी। सूर्य गुलाबी होना और विस्तृत होना ( फैलना) शुरु हो जायेगा और बुध, शुक्र, मंगल, पृथ्वी और कुछ अन्य ग्रहों जो पृथ्वी से परे हैं उनको भी अपने घेरे में ले लेगा। वह लंबे समय तक इस दशा में रहेगा, फिर सूर्य सिकुड़ना शुरू करेगा और एक ठोस माँस बन जायेगा या ब्लेक होल बन जाएगा। जब गैस वाला सूर्य पृथ्वी को घेरे में लेगा, तब कोई रात नहीं होगी और लगातार वह एक दिन बहुत लंबे समय का होगा।

पृथ्वी में गुरुत्वाकर्षण शक्ति (Gravitational force) है, जो प्रत्येक वस्तु को पृथ्वी के केंद्र की ओर आकर्षित करती है। जब शक्तिशाली सूर्य का गोला पृथ्वी को अपने घेरे में ले लेगा तो सूर्य की गुरुत्वाकर्षण शक्ति धरती के गुरुत्वाकर्षण शक्ति को बेकार (Neutral) कर देगी और पृथ्वी पर प्रत्येक वस्तु भार रहित (Weightless) महसूस होगी। जिस प्रकार अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में महसूस करता है। इसलिए पृथ्वी पर प्रत्येक वस्तु तैरना अथवा उड़ना शुरु कर देगी, जिस प्रकार वस्तुएँ अंतरिक्ष में रॉकेट के कॉकपिट में तैरती हैं अथवा आकाश में बादल उड़ते हैं।


• यह छवि, नासा के हबल स्पेस टेलिस्कोप द्वारा ली गई हैं। इस चित्र में सूर्य की तरह का एक नक्षत्र है। जिसका वैज्ञानिक पद (Designation) एन जीसी २४४० है, इसे मरते हुए दिखाया गया है। इस मरते हुए सुर्य ने अपना गॅस अपने चारों तरफ दूर-दूर तक फैला दिया है। इस गॅस के गोले के केंद्र में जो सफेद बिंदु है वही पहले नक्षत्र (सूर्य) था। इस मरते हुए नक्षत्र (सूर्य) की चमक Ultraviolet light के कारण है और अलग-अलग रंग हेलीयम, ऑक्सिजन, नाइट्रोजन के जलने के कारण हैं।

• छवि (Photograph) और अतिरिक्त

सूचना के लिए देखिए;

https://hubblesite.org/contents/news-releases/2007/news-2007-09.html


• [ On 13th feb. 2007 NASA released an image (news release number. STScl-2007 09) with title “The colorful demise of a sun like star. " (Visit http:/hubblesite.org/news/2007/09. To know more about a dying star NGC 2440 which is similar to our sun.)]

धार्मिक तथ्य :

पवित्र कुरआन में प्रलय (कयामत) का इस प्रकार वर्णन है।

१. केवल ईश्वर ही जानता है कि फैसले का दिन (प्रलय) कब आयेगा ।
(पवित्र कुरआन, सूरे अल आराफ ७:१८७)

२. प्रलय के दिन आकाश गुलाब की तरह गुलाबी हो जायेगा।
(पवित्र कुरआन सूरे अल-रहमान ५५, आयत नं. ३७)

३. प्रलय के दिन पृथ्वी अपनी गुरुत्वाकर्षण शक्ति खो देगी और पर्वत बादलों और रुई के गोलों की तरह तैरेंगे।
(पवित्र कुरआन, सूरे अल मारिज ७०, आयत नं. ९)

४. प्रलय के दिन का समय ( कयामत का एक दिन) सोलर कैलैंडर के ५०००० वर्ष के बराबर होगा।
(पवित्र कुरआन, सूरे अल-मारिज ७०:८)

५. प्रलय के दिन सूर्य एकदम हमारे सिरों के ऊपर होगा और पृथ्वी ताँबे की तरह लाल और गर्म होगी।
(पवित्र कुरआन सूरे अल मारिज ७०: आयत नं. ८ )


६. प्रलय के दिन ईश्वर प्रत्येक व्यक्ति के कर्मों का लेखा-जोखा जाँचेगा।
(पवित्र कुरआन सूरे हम्द १: आयत नं. ४)

निष्कर्ष:- (Conclusion )

वैज्ञानिक तथ्य धार्मिक विश्वास को प्रमाणित करते हैं, इस कारण धार्मिक विश्वास के प्रलय होगा यह सत्य है।