Home Chapters About



N-1.7 ईश्वर के बारे में विचारधाराऐं

समाज में ईश्वर के अस्तित्व के बारे में दो विचारधाराऐं हैं।

१. द्वैतवाद
२. अद्वैतवाद

जब योगियों ने ईश्वर में ध्यान लगाया और अपना ध्यान ब्रह्माण्ड और स्वर्ग की तरफ केंद्रित किया
तो उन्होंने अनुभव किया की ईश्वर स्वर्ग से भी ऊपर स्थित है और यह ब्रह्माण्ड उसकी रचना है, तो उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि ईश्वर और संसार अलग अलग है। इसे द्वेतवाद कहते है। अर्थात दोनों का अलग अस्तित्व है।

कुछ योगियों ने ईश्वर में ध्यान लगाया और अपने अंदर ध्यान को केंद्रित किया तो उन्होंने अपने हृदय में ईश्वर को पाया और इसी तरह सारा ब्रह्माण्ड ईश्वर से जीवित है ऐसा अनुभव किया। तो उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला के ईश्वर हर एक में है और हर वस्तु में है। तो उन्होंने इस दर्शन को अद्वैतवाद का नाम दिया, अर्थात दो नहीं है या ईश्वर और ब्रह्माण्ड अलग अलग नहीं है।

इन दोनों सिद्धांतो को मुस्लिम सूफी वहदातुल शहूद और वहदातुल वजूद कहते हैं। उनकी भी वही विचारधारा है। किन्तू हमने जो ईश्वर के बारे में वर्णन किया उससे आप समझ सकते हैं कि दोनों ५० प्रतिशत सच है। जब दोनों सिद्धान्तों को एक साथ मिलाया जाएगा तभी बात १०० प्रतिशत सच होगी।